२३ जून, २०१०

हम सब बहुत सुखी हैं

हम सब बहुत सुखी हैं
लेकीन सुख की कोई बात नहीं,
हम सब बहुत दुखी हैं
लेकीन दुख का कारण ज्ञात नहीं
प्रेमालाप - मग्न ये जोडे
चट्टानों की छाहों में,
जैसे कोई सत्य खोजता हो
झूठी अफवाहों में,
कुछ खोखले रिक्त शब्दों का
फिर-फिर दोहराया जाना
नकली विश्वासों के हाथों
बार-बार धोखा खाना,
तन के भोग कक्ष में कैदी
शापग्रस्त प्यासी रूहें,
इनपर कभी किसी बादल का
होता दृष्टी निपात नहीं
हम सब बहुत सुखी हैं
लेकीन सुख की कोई बात नहीं,
हम सब बहुत दुखी हैं
लेकीन दुख का कारण ज्ञात नहीं
- अनामिक

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